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मानव औतार ईश्वर का ख़ूबसूरत कृत Beautiful creation of God in human form

मानव ईश्वर का ख़ूबसूरत कृत (Beautiful creation of God in human form) दोस्तों हम सभी जानते हैं कि ईश्वर निरंकार हैं. जो सभी जगह में बिराजमान है.उन्हें किसी एक स्थान पर स्थापित नहीं किया जा सकता. इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि ईश्वर को सीमित कर नहीं रखा जा सकता है.इन्हें धर्म,मजहब,किसी विशेष समाज में बांधा या बांटना मूर्खता होगी.यदि कुछेक ऐसा सोचते या करते हैं तो इसे आडम्बर ही समझा जाए.          ईश्वर जब मानव जीवन का कृत कर रहे होंगे तो वे बिल्कल ही ऐसी भ्रान्ति से दुर रहे होंगे,शायद इसी लिए नर/मानव जीवन को इतने स्वरूप में ढाला है.          ईश्वर ने मृत्य लोक में 2 जीवन नर और नार के रुप में बनाए हैं.वे किसी तरह के जाति बंधन,समाज,धर्म, संस्कृति, उच्च-नीच ,भेद-भाव नहीं बनाया है.आज तक जो भी ये घटनाक्रम घटित हुए हैं वो सिर्फ हम मानव के न समझी से हुए हैं. इसके लिए किसी खास को दोषी नहीं माना जा सकता.